भारत का लोकतंत्र आज खुद पर फिर से नम आँखों से शर्मिंदा है,
अंग्रेज गए तो क्या उनके असली वंसज अब भी संसद में जिन्दा हैं,
गाँधी की अबकी हत्या कर दी उनके नाम पर अर्धसदी से शासन करने वालों ने,
सच्ची आजादी के सपनों में हर भारतवासी अब बस केवल जिन्दा है//
----'विवेक'
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