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रविवार, 13 मई 2012

मदर्स डे पर:

पश्चिम से बाजारवाद की ऐसी काली आँधी आयी,
माँ के प्रति समर्पण को को मदर्स डे तक उड़ा लायी//
माँ के प्रति समर्पण के लिए तो उम्र क्या सौ जन्म हैं कम,
उसके आशीषों से ही जीवन में रहती हैं खुशियाँ हरदम//
जीवन की हर साँस, हर कतरे पर हैं जिसका कर्ज
उसकी अर्चना साधना ही है हर प्राणी का इक फर्ज़//
--------'विवेक' 

रविवार, 1 अप्रैल 2012

राम नवमी पर, राम का राजनीतीकरण करने वालों से:-

राम विषय नहीं हैं पाखंडी शोध का,
राम विषय हैं जीवन के उद्बोध का//
राम विषय नहीं हैं सत्ता के उपभोग का,
राम विषय हैं जीवन के प्रबोध का//

राम न मिलते मंदिर में, न माथे पर टीका चंदन से
राम मिलेंगे घोर तपस्या से, मन प्राणों से वंदन से//

जो कहते हैं राम विषय हैं इतिहासों के
कह दो उनसे राम विषय हैं विश्वासों के//
                                                        
-------विवेक