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शनिवार, 2 अप्रैल 2011

विश्व कप क्रिकेट २०११ पर

फाइनल से पूर्व की एक मुक्तक :


एक ओर आस है तो दूजी प्यास
दशकों के सूखे का कर दो विनास

महासंग्राम की बज चुकी है नाद
कर लो विश्व कप अपने पास//



फाइनल में   विजय के पश्चात  की २ मुक्तकें :

अर्सों बाद विजय की सुहानी सुगंध आयी है
दिल में खुशियों की उफनती तरंग आयी है
है बहुत बहुत अभिनन्दन धोनी की सेना का
हे राष्ट्र  तुझको अब कप के अर्पण की बारी आयी है//


सतयुग में लंका से माता सीता लाये थे हम
कलयुग में लंका से कप जीत के लाये हैं हम
रहा इतिहास साक्षी सदा विजयगाथा  का हमारी
आओ खुशियों की लहरों में गोते लगायें हम //

-------'विवेक'



 


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