COPYRIGHT

गुरुवार, 28 अप्रैल 2011

जनलोकपाल समिति के सदस्यों पर सत्तापक्ष के नेताओं द्वारा बार-बार आरोप लगाये जाने पर समर्पित एक मुक्तक

ये खेल रहे हैं  चौंसर  सजा के महफिल मयखाने पे
घूर रहे हैं ये अब भारत की सेवा  की चाहत वालों पे  
यदि अब भी हम घृतराष्ट्र सरीखे अंधे होकर बैठेंगे  
तो अबकी कृष्ण हसेंगे भारत की बर्बादी के मंजर पे//

-------'विवेक'

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें