COPYRIGHT

गुरुवार, 28 मार्च 2013


तुम सबको अभयता की अमर संजीवनी शक्ति मिले
इसी लिये मैंने वैभवता के जीवन को हँस कर त्यागा है/
हर नागरिक को गरिमामय जीवन जीने का हक मिल जाये
इसी सोंच में भारत माँ का यह पुत्र रातों रात जागा है /
इतने दिन भूंखे रहने पर अंतडियों में पीड़ा तो होती है
फिर भी देश बनेगा इस सुर की वीड़ा तो अब बजती है/
परिवर्तन त्याग माँगता है, बलिदान माँगता है, तप माँगता है
इसीलिए सुख चैन न जाने कब से इसके जीवन से भागा है//

------‘विवेक’

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें