पश्चिम से बाजारवाद की ऐसी काली आँधी आयी,
माँ के प्रति समर्पण को एक दिन तक उड़ा लायी/
माँ को नहीं आस है मदर्स डे के महँगे तोहफों की
माँ को जरुरत है तो केवल बच्चों के दो बोल की//
संसार में कुछ भी एक दिन में हो सकता है,
पर माँ को समर्पित केवल एक दिन नहीं हो सकता है/
माँ के समर्पण के लिए तो उम्र क्या सौ जन्म हैं कम,
उसके आशीषों से ही बच्चों की खुशियाँ कभी न हुयी कम//
-----'विवेक'
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें